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हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥

ऐं क्लीं सौः श्री बाला त्रिपुर सुंदरी महादेव्यै सौः क्लीं ऐं स्वाहा ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं ॐ ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं

चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा

वन्दे तामहमक्षय्यां क्षकाराक्षररूपिणीम् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१२॥

उत्तीर्णाख्याभिरुपास्य पाति शुभदे सर्वार्थ-सिद्धि-प्रदे ।

वन्दे सर्वेश्वरीं देवीं महाश्रीसिद्धमातृकाम् ॥४॥

तरुणेन्दुनिभां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥२॥

हन्यादामूलमस्मत्कलुषभरमुमा भुक्तिमुक्तिप्रदात्री ॥१३॥

हस्ते पाश-गदादि-शस्त्र-निचयं दीप्तं वहन्तीभिः

प्रणमामि महादेवीं मातृकां परमेश्वरीम् ।

कालहृल्लोहलोल्लोहकलानाशनकारिणीम् ॥२॥

तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति read more इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।

Reply ray February 26, 2021 Good day sharma, is this possible to understand the place did you identified that particular shodashi mantra, as it is totally different from first which can be more time.

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